Chulkana Dham Khatu Shyam Mandir(चुलकाना धाम खाटू श्याम मंदिर)
By: admin
February 19, 2024
1 minute read
खाटू श्याम मंदिर चुलकाना धाम(Chulkana Dham): एक पवित्र स्थान के पीछे की कहानी:
Chulkana Dham: हमारे समाज में धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व है। यहां धर्म की एक ऐसी गहराई है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है और हमें संतुष्टि और शांति की अनुभूति प्रदान करती है। चुलकाना धाम(Chulkana Dham) इसी प्रकार का एक मंदिर है जो हमें अपने आप में खींचता है।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) हरियाणा के पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना एक बहुत ही प्राचीन कथा से जुड़ी हुई है।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) का मुख्य मंदिर खाटू श्याम के समर्पित है। खाटू श्याम भगवान को समर्पित यह स्थान परंपरागत रूप से मान्यताओं और श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर की सुंदरता और धार्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) में आने वाले लोग श्रद्धा और आस्था के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के पुजारियों द्वारा आयोजित आरती का दर्शन करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) का नाम क्यो पड़ा?
प्राचीन काल में त्रेतायुग में स्थित था एक अद्भुत घटना का वर्णन। इस कथा में एक ऋषि लकीसर बाबा, जो चुनकट नामक स्थान पर अपनी गहन तपस्या में व्यस्त थे, शामिल हैं। हालांकि, वहां एक चक्रवर्ती राजा भी अपनी शानदार साम्राज्यवादी सत्ता के कारण प्रसिद्ध था। उसने देश के सभी भूमि-जल पर अपना शासन प्रदर्शित किया था।
एक दिन, उसने अपने राज्य में एक ऐलान किया कि जो भी प्राणी उसके राज्य में हैं, वे केवल उसके द्वारा प्रदान किए गए भोजन और जल का सेवन करेंगे। जब ऋषि लकीसर को यह सूचना मिली, तो उन्होंने राजा को एक संदेश भेजा, जिसमें कहा गया था कि वे उसके द्वारा प्रदान किए गए अन्न और जल का सेवन नहीं करेंगे। उनकी तपस्या भूमि, चुनकट नामक बाग में ही संपन्न होगी, जहां हर प्रकार के वनस्पति मौजूद हैं और उनका जीवनयापन वहीं से होगा।
जब राजा को यह पता चला, तो उन्होंने एक संदेश भेजकर कहा कि अगर आप मेरे राज्य के अन्न और जल का सेवन नहीं करेंगे, तो आपको या तो राज्य छोड़ना होगा या फिर मेरे साथ युद्ध करना होगा। बाबा ने यह ठान ली कि उन्हें राज्य छोड़ना ही उचित होगा और वे उस स्थान से चले गए।
उनकी यात्रा के दौरान, जब वे पृथ्वी के समुद्र तट तक पहुंचे, तो वहां पानी की अवधारणा होती रही। इसी समय भगवान ने एक रहस्यमय हिरण को उद्भव किया, जो सागर किनारे अपनी प्यास बुझाने के लिए आया था। हिरण जब पानी पीने लगा, तो पीछे से एक शेर दौड़ता हुआ दिखाई दिया। हिरण ने उच्च स्वर में कहा, “हे राजन्! आपके राज्य में एक निर्बल की हत्या होने जा रही है, कृपया उसे बचाएं।” इसके बाद अचानक से एक हथियार आया और उस शेर की गर्दन को काटकर अलग कर दिया।
इस घटना के बाद बाबा को एहसास हुआ कि उनका राज्य न केवल उस स्थान पर है, बल्कि वह उसे कहीं और भी है। इसलिए उन्होंने तय किया कि वे अपनी ही तपोभूमि में वापस जाकर उससे मुकाबला करेंगे। इस प्रकार, बाबा वापस अपने नौलखा बाग (चुलकाना धाम Chulkana Dham) में पहुंच गए। जब राजा को पता चला कि बाबा लकीसर फिर से वापस आ गए हैं, तो उन्होंने बाबा को संदेश भेजकर पूछा कि आप फिर क्यों आ गए हैं।
बाबा ने उत्तर दिया, “मैं अब इसी राज्य में रहूंगा और आपके अन्न और जल का सेवन कभी नहीं करूंगा।” इस पर राजा ने क्रोधित होकर बाबा को युद्ध के लिए बुलाया। बाबा ने चुनकट से एक रात का समय माँगा और कहा कि अगली सुबह उनसे बातचीत की जाएगी।
रात्रि में बाबा ने भगवान के नाम का जाप किया और ब्रह्ममुहूर्त में भगवान लक्ष्मी-नारायण प्रकट हुए और बाबा से कहा कि आप उस राजा के साथ युद्ध करें और आपको कुशा को तोड़-तोड़ कर फेंकनी है। यह युद्ध दो त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग तक चलेगा।
आपको एक त्रेतायुग में, दूसरे वापर युग में द्रोपदी के रूप में और तीसरे कलियुग में होगा। आपको कुशा को तोड़-तोड़कर फेंकना होगा। बाबा ने सुबह ही उसी तरीके से किया। जब राजा की सेना बाबा के खिलाफ युद्ध करने के लिए आगे बढ़ी, तब बाबा ने एक टुकड़ा कुशा को तोड़कर फेंक दिया, जो परमाणु बम की तरह कुशा को नष्ट कर रहा था।
राजा का सब कुछ नष्ट हो गया। इसके बाद से बाबा लकीसर के इस नौलखा बाग को चुनकट वाला धाम कहा जाने लगा है, जो आज चुलकाना धाम(Chulkana Dham) के नाम से प्रसिद्ध है।
इसी प्रकार, चुलकाना धाम(Chulkana Dham) आज भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो यात्रियों को आकर्षित करता है। यहां भक्तों को धार्मिक सामग्री की व्याप्ति मिलती है और पूजापाठ की जाती है। इस स्थान पर आने वाले लोग शांति और सुख की कामना करते हैं और अपने आपको मानसिक और आध्यात्मिक रूप से पुनर्जीवित करते हैं।
Khatu Shyam Chulkana Dham history in Hindi: खाटू श्याम मंदिर चुलकाना धाम:
हरियाणा राज्य के पानीपत जिला में समालखा कस्बे से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुलकाना गांव एक प्रसिद्ध स्थान है। यहां पर बाबा ने शीश दान किया था, जिसके कारण यहां चुलकाना धाम(Chulkana Dham) के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। चुलकाना धाम(Chulkana Dham) को कलिकाल का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान माना जाता है और इसका महाभारत से गहरा संबंध है।
पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच की विवाह कथा यहां हुई थी, जब उन्होंने दैत्य की पुत्री कामकन्टकटा से विवाह किया। उनके पुत्र बर्बरीक थे और उन्हें महादेव और विजया देवी का आशीर्वाद प्राप्त था। उन्हें तीन बाण मिले, जो सृष्टि का संहार करने के लिए प्रयोग किए जा सकते थे। बर्बरीक की माता को यह संदेह था कि पांडव महाभारत युद्ध में जीत नहीं सकते।
उसने अपने पुत्र से वचन लिया कि यदि युद्ध हो जाए, तो वह हारने वाले का सहारा देगा। इसलिए बर्बरीक को “हारे का सहारा” भी कहा जाता है। माता के आदेश के साथ, बर्बरीक युद्ध देखने के लिए घोड़े पर सवार हुआ। उनके घोड़े का नाम लीला था, जिसे लीला का असवार भी कहा जाता है। जब वे युद्ध में पहुंचे, उनका विशाल रूप देखकर सैनिकों को डर लगा।
इसके बाद, श्री कृष्ण ने पांडवों को बुलाया और उन्हें आने के लिए कहा। श्री कृष्ण ने एक ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक के पास पहुंचे। उस समय, बर्बरीक पूजा कर रहा था। पूजा के बाद, बर्बरीक ने ब्राह्मण के रूप में देखकर श्री कृष्ण से पूछा कि उनकी क्या सेवा कर सकता है। श्री कृष्ण ने उनसे पूछा कि उनकी क्या मांग है और क्या वे उसे पूरा कर सकते हैं।
बर्बरीक ने कहा कि उसके पास कुछ नहीं है, लेकिन अगर उनकी आँखों में कुछ है, तो वह वहीं देने के लिए तैयार है। इस पर, श्री कृष्ण ने शीश का दान मांगा तो बर्बरीक ने कहा कि वह शीश दान करेगा, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता। श्री कृष्ण ने अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होकर उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
तब श्री कृष्ण ने कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बलि चाहिए। धरती पर तीन वीर महाबली हैं, मैं, अर्जुन, और तुम, क्योंकि तुम पांडव कुल से हो। रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। बर्बरीक ने देवी देवताओं का वंदन किया और माता को नमन करते हुए एक ही वार में शीश को धड़ से अलग करके श्री कृष्ण को शीश दान कर दिया।
श्री कृष्ण ने शीश को अपने हाथ में लिए और अमृत से सींचकर अमरत्व को प्राप्त किया। उन्होंने शीश को एक टीले पर रखा, और वह स्थान चुलकाना धाम(Chulkana Dham) के रूप में पवित्र हुआ। आज हम उसे प्राचीन सिद्ध श्री श्याम मंदिर चुलकाना धाम(Chulkana Dham) के नाम से जानते हैं।
बर्बरीक ने एक ही बाण से किया पूरे पेड़ में छेद
पांडवों के पलड़े में कमजोरी थी, जब बर्बरीक पहुंचे, तब तक पांडव मजबूत हो गए थे, लेकिन बर्बरीक को तो हारे का सहारा बनना था। अगर वह कौरवों के साथ जुड़ते, तो पांडव हार जाते। श्रीकृष्ण ने इस दृश्य को देखकर एक ब्राह्मण के रूप में बर्बरीक के पास पहुंचे और उनसे पीपल के पत्तों में छेद करने का अनुरोध किया। साथ ही, एक पत्ता उनके पैर के नीचे दबा दिया गया।
बर्बरीक ने एक ही बाण से सभी पत्तों में छेद कर दिया। श्रीकृष्ण ने कहा, “एक पत्ता बच गया है,” तब बर्बरीक ने कहा, “आप अपना पैर हटाएं, क्योंकि बाण आपके पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही वापस आएगा।”
अद्भुत दृश्य
श्याम मन्दिर के पास एक पीपल का पेड़ है। पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद हैं। जिसे मध्ययुग में महाभारत के समय में वीर बर्बरीक ने अपने बाणों से बेधा था।
बर्बरीक ने क्यों दिया शीश का दान?
पहुँचते ही युद्ध क्षेत्र में सैनिकों ने एक विशाल आकार वाले पुरुष को देखकर डर जाहिर किया। जब श्री कृष्ण ने उनसे परिचय किया और पांडवों को आने के लिए उन्हें कहा तो उन्होंने ब्राह्मण के रूप में बर्बरीक के पास जाने का निर्देश दिया। बर्बरीक उस समय पूजा में लगे थे।
पूजा समाप्त होने के बाद, बर्बरीक ने ब्राह्मण के रूप में श्री कृष्ण को देखकर पूछा कि वह उनकी सेवा कर सकता हैं या नहीं। श्री कृष्ण ने उत्तर दिया कि आप मुझसे कुछ मांगिए, क्या आप वह दे सकते हैं। बर्बरीक ने कहा कि मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन फिर भी आपकी नजर में कुछ है तो मैं देने के लिए तैयार हूँ।
श्री कृष्ण ने शीर्षक के दान की विनती की। बर्बरीक ने कहा कि मैं शीर्षक का दान करूँगा, परंतु एक ब्राह्मण कभी शीर्षक का दान नहीं मांगता। आप कृपया बताएं कि आप कौन हैं?
जब श्री कृष्ण ने अपना वास्तविक स्वरूप प्रकट किया, तो उन्होंने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? तब श्री कृष्ण ने कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बलि चाहिए। पृथ्वी पर तीन महाबलियाँ हैं – मैं, अर्जुन और तुम हो, क्योंकि तुम पांडव कुल से हो।
रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। बर्बरीक ने देवी-देवताओं का प्रणाम किया और माता को नमन करते हुए एक ही वार में शीर्षक को धड़ से अलग करके श्री कृष्ण को शीर्षक दान कर दिया।
श्री कृष्ण ने शीर्षक को अपने हाथों में ले अमृत से सींचकर अमरत्व की प्राप्ति करते हुए उसे एक टीले पर रखवा दिया। जहां शीर्षक रखा गया, वहां पवित्र स्थान चुलकाना धाम(Chulkana Dham) माना जाता है, और आज हम उसे प्राचीन सिद्ध श्री श्याम मंदिर चुलकाना धाम(Chulkana Dham) के रूप में जानते हैं।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) दूर दूर तक प्रसिद्ध
मंदिर पुजारी मोहित शास्त्री जी ने बताया कि चुलकाना धाम(Chulkana Dham) विख्यात हो गया है। श्याम बाबा के दर्शन के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में श्याम बाबा के अलावा हनुमान, कृष्ण बलराम, शिव परिवार सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। दूर-दराज से लाखों की संख्या में भक्त आकर मंदिर में आनंद और समृद्धि की कामना करते हैं।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) का मेला
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) पर एकादशी और द्वादशी के दिन मेला लगता है और भक्तों की बहुत बड़ी भीड़ चढ़ जाती है बाबा खाटूश्याम मंदिर में दर्शन के लिए। लोग दर्शन के लिए देर शाम तक आते-जाते रहते हैं और अपने हाथों में पीले रंग के झंडे लिए बाबा श्याम के जयकारे और नारे बोलते रहते हैं।
इसके अलावा, भक्तों द्वारा बाबा की पालकी भी निकाली जाती है। हर साल फाल्गुन मास की द्वादशी को श्याम बाबा मंदिर में उनकी पालकी निकाली जाती है, जिससे एक विशाल मेला लगता है। इस मेले में चुलकाना धाम(Chulkana Dham) में कई राज्यों से हजारों भक्त आते हैं दर्शन के लिए। यह मेला कारण है कि एक-दो दिन पहले ही भक्तों की मंदिर में आने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
रात में, भक्तों द्वारा बाबा श्याम के जागरण और भजन संध्या की जाती है और सुबह से ही उन्हें दर्शन करके अपनी मन्नत करते हैं। ऐसा मान्यता में है कि जो भक्त बाबा श्याम से मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नत कभी खाली नहीं जाती है। यह धारणा है कि चुलकाना धाम(Chulkana Dham) में भगवान की कृपा अपार होती है और वहां के मेले और उनके दर्शन भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) बाबाश्याम पूजन-विधि
जो श्रद्धालु सच्ची भावना के साथ पूजा करते हैं, उनके आराध्य भगवान उनकी इच्छाएं जरूर स्वीकार करते हैं। किसी भी देवी-देवता के लिए विशेष पूजा-विधि आवश्यक नहीं होती, वे केवल प्रेम की प्यासे होते हैं। जब आप खुद को पूर्णतः समर्पित करके उनकी पूजा-आराधना करेंगे, तब वे इसे स्वीकार कर लेंगे।
पूजन-विधि के कुछ नियम :-
- आपको पूजा के लिए खाटूश्याम जी की चित्रा या मूर्ति की आवश्यकता होती है।
- आपके पास गंध, दीप, धूप, नैवेद्य, और पुष्पमाला होनी चाहिए।
- श्याम बाबा की चित्रा या मूर्ति को पंचामृत या फिर दूध-दही के साथ स्नान कराएं, और फिर स्वच्छ जल से साफ करें। उसके बाद, रेशमी कपड़े से उसे सुखाएं और पुष्पमाला से उसे सजाएं।
- पूजा शुरू करने से पहले, श्याम बाबा की चित्रा के सामने एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाएं।
- अब आप खाटूश्याम बाबा को भोग में चूरमा दाल बाटी या मावे के पेड़े के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।
- अब श्याम बाबा की आरती करें और उसका आशीर्वाद लें।
- खाटूश्याम बाबा के 11 जयकारे लगायें-जय श्री श्याम, जय खाटूवाले श्याम, जय हो शीश के दानी, जय हो कलियुग देव की, जय खाटूनरेश, जय हो खाटूवाले नाथ की, जय मोर्वीनन्दन, जय मोर्वये, लीले के अश्वार की जय, लखदातार की जय, हारे के सहारे की जय।
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) मन्दिर समय: Chulkana Dham Mandir Darshan Timing
Chulkana Dham Timing: चुलकाना धाम मंदिर दर्शन समय सारणी
Days | Morning Time | Evening Time |
---|---|---|
Monday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Tuesday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Wednesday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Thursday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Friday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Saturday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
Sunday | 04:00am -12:00pm | 04:00pm -09:00pm |
चुलकाना धाम(Chulkana Dham) मन्दिर कैसे पहुंचे?
आप देश के किसी भी क्षेत्र से आसानी से दिल्ली तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली देश के सभी प्रमुख शहरों से रेलगाड़ी, विमान और राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ा हुआ है। अब मैं आपको दिल्ली से चुलकाना धाम(Chulkana Dham) मंदिर तक पहुंचने का तरीका बताने जा रहा हूँ:
चुलकाना धाम(Chulkana Dham), हरियाणा राज्य के पानीपत जिले, समालखा तहसील में स्थित है। यहाँ बाबा श्याम का प्राचीन मंदिर स्थित है।
यदि आप रेलगाड़ी से आना चाहते हैं तो चुलकाना धाम(Chulkana Dham) से सबसे निकटवर्ती रेलवे स्टेशन भोडवाल मजरी और समालखा है। जब आपकी यात्रा समाप्त हो जाए, तो आपको ऑटोरिक्शा के माध्यम से चुलकाना धाम(Chulkana Dham) तक पहुंचना होगा।
Frequently Asked Questions: अक्सर पूछे जाने वाले प्रशन
Q1. दिल्ली से चुलकाना धाम की दूरी कितनी है?
Ans. दिल्ली से चुलकाना धाम की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है।
Q2. पानीपत से चुलकाना धाम की दूरी कितनी है?
Ans. पानीपत से चुलकाना धाम लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Q3. चुलकाना धाम जाने का रास्ता क्या है?
Ans. अगर आप चुलकाना धाम जाने का सोच रहे हैं तो दिल्ली से ट्रैन सबसे बेहतर विकल्प हैं। आप देश के किसी भी क्षेत्र से आसानी से दिल्ली तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली देश के सभी प्रमुख शहरों से रेलगाड़ी, विमान और राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ा हुआ है।
Q4. चुलकाना धाम कौन से जिले में पड़ता है?
Ans. चुलकाना धाम (Chulkana Dham) हरियाणा राज्य के पानीपत ज़िले में स्थित एक गाँव है।
Q5. चुलकाना धाम ट्रेन से कैसे जाएं?
Ans. अगर आप चुलकाना धाम जाना चाहते है तो आप देश के किसी भी क्षेत्र से आसानी से दिल्ली तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली देश के सभी प्रमुख शहरों से रेलगाड़ी, विमान और राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ा हुआ है।
Q6. चुलकाना धाम क्यों प्रसिद्ध है?
Ans. “चुलकाना धाम” में एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, जो “श्री श्याम खाटू वाले” का है। इसे कलयुग का सर्वोत्तम तीर्थ माना जाता है और इसका संबंध महाभारत से है। यहाँ की कहानी में बताया जाता है कि चुलकाना धाम में एक पीपल का पेड़ भी है, जिस पर बर्बरीक ने सिर्फ एक बाण से छेद किया था।”
Q7. दिल्ली से चुलकाना धाम कैसे जाये?
Ans. दिल्ली से चुलकाना धाम के लिए सबसे बेहतर विकल्प है ट्रैन। दिल्ली से चुलकाना धाम बस से भी जाया जा सकता है।
Q8. खाटू श्याम मंदिर हरियाणा में कहा है?
Ans. खाटू श्याम मंदिर हरियाणा राज्य के पानीपत ज़िले में स्थित एक गाँव है, जिसे चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है।
Q9. चुलकाना धाम से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कौनसा है?
Ans. पानीपत जंक्शन चुलकाना धाम से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है।
Q10. समालखा से चुलकाना धाम की दूरी कितनी है?
Ans. समालखा से चुलकाना धाम लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।