Khatu Shyam Baba Ke 11 Prasidh Name: जानें खाटू श्याम बाबा के 11 प्रसिद्ध नाम
By: admin
September 8, 2023
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खाटू श्याम बाबा के 11 प्रसिद्ध नाम: भारतीय संस्कृति में भक्ति के अनेक रूप मिलते हैं। एक ऐसे भगवान जिनका भक्तों के दिलों में खास स्थान हैं वह हैं खाटू श्याम बाबा। खाटू श्याम जी(Khatu Shyam Ji) को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जाना जाता है। लोग उन्हें विभिन्न नामों से भी बुलाते हैं, जैसे बर्बरीक, बाबा श्याम, शीश का दानी, तीन बाण धारी, और अन्य नाम।
हिंदू धर्म में खाटू श्याम जी एक बहुत ही पूजनीय देवता माने जाते हैं। खाटू श्याम जी की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है, जहां बर्बरीक(Barbarik) नामक एक बहादुर योद्धा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इस लेख में हम खाटू श्याम जी के 11 प्रसिद्ध नामों और उनके पीछे के कारणों को जानेंगे। खाटू श्याम जी के 11 प्रसिद्ध नामों को जानने के लिए आप इस लेख को अंत तक पढ़ सकते हैं।
खाटू श्याम बाबा के 11 प्रसिद्ध नाम: Khatu Shyam Baba 11 Famous Name
खाटू श्याम के 11 नाम: वैसे तो खाटू श्याम जी को उनके भक्त विभिन्न नामों से बुलाते हैं, पर जिनमें से 11 सबसे प्रसिद्ध हैं। आज इस लेख में हम उन 11 प्रसिद्ध नामों और उनके पीछे की कहानी को जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।
1. बर्बरीक: Barbarik
खाटू श्याम जी का पहले नाम “बर्बरीक” था, जो उनकी माता और पिता द्वारा दिया गया था। बर्बरीक की माता का नाम मौर्वी था और पिता का नाम घटोत्कच था। घटोत्कच अधिक शक्तिशाली गदाधारी भीम के पुत्र थे और माता मौर्वी नागकन्या की पुत्री थी।
2. मौर्वी नंदन: Morvi Nandan
बर्बरीक माता मौर्वी (कामनकंता) के पुत्र हैं, इसलिए इन्हें “मौर्वी नंदन” भी कहा जाता है। खाटू श्याम मेले के दौरान “मौर्वी नंदन” के जयकारे भी खूब लगाए जाते हैं।
3. तीन बाण धारी: Teen Baan Dhari
बर्बरीक भी अपने दादा और पिता की तरह बहुत ही महान योद्धा थे। उन्होंने श्री कृष्ण के कहने पर मां दुर्गा की तपस्या करके तीन बाण प्राप्त किए थे। इन तीन बाणों के बल से वे संपूर्ण ब्रह्मांड को जीत सकते थे, इसलिए उन्हें “तीन बाण धारी” भी कहा जाता है।
उनके जैसा धनुर्धर इस पूरे ब्रह्मांड में नहीं था, नहीं है, और न ही कभी होगा।
4. शीश के दानी: Seesh Ke Daani
जब बर्बरीक ने महाभारत युद्ध के बारे में सुना, तो उन्होंने भी इस युद्ध में हिस्सा लेने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी माँ मोदी के पास उनका आशीर्वाद प्राप्त करने जाना। तब उनकी माँ मौरवी ने उनसे वचन माँगा कि वे इस युद्ध में हारे हुए पक्ष का साथ देंगे।
लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इसे मंजूर नहीं किया, क्योंकि वे पहले से ही जानते थे कि इस युद्ध में कौरवों की हार निश्चित है। और यदि बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ेंगे तो शायद अंजाम कुछ और ही होगा। l
इसलिए उन्होंने एक ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक के सामने प्रकट हो गए और उनसे दान में उनका शीश माँग लिया। फिर बर्बरीक ने अपना शीश उन्हें दान कर दिया। इस कारण से बाबा श्याम को “शीश का दानी” भी कहा जाता है।
5. श्री श्याम: Shree Shyam
जब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण रूप में बर्बरीक से दान में अपने लिए शीश मांगा, तो बर्बरीक ने समझ लिया कि वह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं है। क्योंकि ब्राह्मण नहीं मांगते दान में शीश। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक रूप दिखाया और उनसे कहा कि महाभारत युद्ध के पहले, इस भूमि के पूजन के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी होगी।
बर्बरीक ने इस कथन को सुनकर अपना शीश देने को तैयार हो गए। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि वे इस पूरे महाभारत युद्ध को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने इस कथन को मान लिया और पास की ऊंची पहाड़ी पर उनका शीश रख दिया, जहां से वे पूरा महाभारत युद्ध देख सके।
भगवान श्रीकृष्ण बर्बरीक से प्रसन्न होकर उन्हें सर्वश्रेष्ठ वीर की उपाधि दी और साथ ही उन्हें अपना नाम “श्री श्याम” भी दिया। इस कारण से बाबा श्याम को श्री श्याम के नाम से भी जाना जाता है।
6. कलियुग के अवतारी: Kalyug Ke Avatari
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने बाबा श्याम को अपना नाम दिया और उसको एक विशेष वरदान भी दिया। उन्होंने कहा कि वह कलयुग में पूजे जाएंगे, इसलिए उन्हें “कलयुग के अवतारी” भी कहा जाता है। और अभी भी यह संसार कलयुग में ही चल रहा है। इसलिए बाबा श्याम अपने भक्तों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। हर दिन लाखों भक्त उनके पास आकर अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं, और उन्हें विश्वास है कि भगवान खाटू श्याम सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे!
7. नीले घोड़े का सवार(लीले का अश्वार): Nile Ghode Ka Sawar
भगवान शाम को “नीले घोड़े का सवार” भी कहा जाता है, क्योंकि बरबरीक के पास जो घोड़ा था वह नीले रंग का था। इसलिए उन्हें “नीले घोड़े रा असवार” भी कहा जाता है, और कई भक्तों को “लीले का अश्वार” भी कहते हैं।
क्योंकि स्थानीय भाषा में “नीले” को “लीला” भी कहा जाता है। इसलिए उन्हें “नीले घोड़े का सवार” या “लीले का अश्वार” भी कहते हैं।
8. लखदातार: Lakdataar
भगवान श्याम को “लखदातार” कहा जाता है, क्योंकि श्याम बाबा की महिमा बहुत अद्भुत है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर श्याम बाबा की कृपा होती है, वह व्यक्ति हर तरह से समृद्ध हो जाता है।
श्याम बाबा की कृपा के कारण लाखों भक्तों में से कुछ सामान्य व्यक्ति धनवान बन जाते हैं, इसलिए उन्हें लगातार “लखदातार” नाम से पुकारा जाता है। खाटू श्याम जी के मेले में पश्चिम बंगाल, आसाम, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात और अन्य जगहों से लाखों लोग उनके दर्शन करने आते हैं।
9. हारे का सहारा: Haare Ka Saahara
जब व्यक्ति अपनी लाइफ में हर जगह से ठोकर खाने के हताश और निराश हो जाता है और बाबा श्याम की भक्ति में लीन हो जाता है तो उसके सारे दुख और पाप खुद नष्ट हो जाते हैं और उनके ऊपर बाबा श्याम की कृपा बरसती है। इसलिए बाबा शाम को “हारे का सहारा” भी कहा जाता है।
और एक मान्यता यह भी है कि महाभारत युद्ध में जब बर्बरीक अपनी माता मौर्वी से युद्ध के लिए आशीर्वाद मांगने गए थे तब उनकी माता ने उनसे हारे हुए पक्ष का साथ देने के लिए कहा था इसलिए भी बाबा श्याम “हारे का सहारा” नाम से भी जाने जाते है।
10. खाटू नरेश: Khatu Naresh
बाबा श्याम को “खाटू नरेश” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि बाबा श्याम राजस्थान में सीकर जिले के “खाटू नगर” में विराजमान है और भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें श्याम नाम की उपाधि मिली हुई है इसी कारण से उन्हें “खाटू श्याम” या “खाटू नरेश” के नाम से भी जानते है।
11. मोरछड़ी धारक: Morchhadi Dharak
बाबा श्याम को भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिला हुआ है और भगवान श्री कृष्ण की प्रिय वस्तु “मोर पंख” और “बांसुरी” है तो बाबा श्याम को मोरछड़ी रखने के कारण उन्हें “मोरछड़ी धारक” भी कहा जाता है।
Frequently Asked Questions
Q1. खाटू वाले श्याम का असली नाम क्या है?
A. खाटू वाले श्याम (खाटू श्याम जी) का असली नाम “बर्बरीक” है।
Q2. खाटू वाले श्याम किसके पुत्र है?
A. खाटू वाले श्याम “घटोत्कच” के पुत्र है।
Q3. खाटू श्याम जी को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है?
A. एक मान्यता यह भी है कि महाभारत युद्ध में जब बर्बरीक अपनी माता मौर्वी से युद्ध के लिए आशीर्वाद मांगने गए थे तब उनकी माता ने उनसे हारे हुए पक्ष का साथ देने के लिए कहा था इसलिए भी बाबा श्याम “हारे का सहारा” नाम से भी जाने जाते है।
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