श्याम कुंड(Shyam Kund): एक पवित्र धार्मिक स्थल का इतिहास एवं कहानी
By: admin
October 28, 2023
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Shyam Kund Ki Kahani: आज हम आपको एक पवित्र जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। यह जगह कलयुग के देवता श्याम बाबा से जुड़ी हुई है। श्याम बाबा ने महाभारत के युद्ध के समय अपने शीश का दान किया था और उन्हें शीश के दानी कहा जाता है।
यह जगह बहुत पवित्र है क्योंकि यहां श्याम बाबा का शीश प्रकट हुआ था। इसलिए इसे मंदिर की तरह समझा जा सकता है और इसकी महिमा भी अद्भुत है।
चलिए जानते हैं कि यह जगह कौनसी है और इसका नाम क्या है। यहां एक जल कुंड है जिसे श्री श्याम कुंड(Shyam Kund) या श्याम सरोवर के नाम से जाना जाता है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) का परिचय
श्याम कुंड(Shyam Kund) एक गहरे और लंबोतरा आकार का जलाशय है, जिसका जल बहुत पवित्र माना जाता है। कुंड के आसपास एक प्रवेश द्वार है, जिसमें प्राचीन श्याम कुंड स्थित है।
इस प्राचीन श्याम कुंड(Shyam Kund) को महिला कुंड के नाम से जाना जाता है और अब इसे केवल महिलाएं ही स्नान कर सकती हैं। महिला श्याम कुंड(Shyam Kund) के आसपास कई मंदिर हैं, जैसे प्राचीन हनुमान मंदिर और गायत्री मंदिर।
ऐतिहासिक रूप से यह संभावित है कि बर्बरीक(Khatu Shyam Ji) का शीश इस प्राचीन श्याम कुंड(Shyam Kund) से निकला होगा, लेकिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वर्तमान में श्याम कुंड(Shyam Kund) का उपयोग किया जाता है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) की महिमा
यह कुंड हर महीने पवित्र जल से भरा रहता है। कुंड का जल जमीन से निकलता है, इसलिए इसे कहा जाता है कि कुंड में जल पाताल से आता है।
बर्बरीक के शीश ने इसी कुंड से श्याम रूप में अवतार लिया था, इसलिए इस कुंड के जल को अमृत के समान और पवित्र माना जाता है। श्री श्याम कुंड(Shyam Kund) को खाटू का तीर्थ जलाशय भी कहा जाता है। इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्यों की प्राप्ति होती है।
कुंड में स्नान करने से बाबा श्याम की असीम कृपा भी बरसती है और कष्ट दूर होने लगते हैं। इस कुंड का विशेष जुड़ाव बर्बरीक के शीश के प्राकट्य स्थान होने की वजह से है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) के जल को चरणामृत के रूप में ग्रहण करने से आत्मिक शक्ति का अनुभव होता है, क्योंकि इसके जल में बहुत अद्भुत शक्ति विद्यमान है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) में स्नान से पहले रखें इन बातों का ध्यान
श्री श्याम कुंड(Shyam Kund) में स्नान करने से पहले हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान नहीं रखने से हम अनजाने में पाप के भागी बन सकते हैं।
सबसे पहली बात यह है कि कुंड में प्रवेश करने से पहले इसके पवित्र जल को माथे से लगाना चाहिए। इसके बाद कुंड के जल में प्रवेश कर स्नान करना चाहिए।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि कुंड में नहाते समय साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नहाने के बाद अपने कपड़े कुंड में नहीं धोने चाहिए।
श्याम कुंड(Shyam Kund) का इतिहास: Khatu Shyam Kund History in Hindi
श्याम कुंड(Shyam Kund)का इतिहास एक कहानी के रूप में बताया जाता है। प्रसिद्ध इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा के अनुसार प्राचीन समय में इस कुंड के स्थान पर एक बहुत बड़ा टीला था।
उस टीले पर एक आक का पेड़ उग गया। यहाँ पर इदा जाट की गाय चरने के लिए आया करती थी। जैसे ही वो गाय आक के पेड़ के पास आती तो उसका दूध टपकने लग जाता था।
गाय के दूध कम होने से इदा को शंका हुई। अगले दिन इदा गाय के साथ उसके चरने वाले स्थान पर आया और उसने अपनी आँखों से आक के पेड़ के पास गाय का दूध टपकते देखा।
ऐसा होता देख उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सोच में पड़ गया। उसी रात इदा को स्वप्न में श्याम बाबा ने कहा कि तुम्हारी गाय का दूध शक्ति से मैं पीता हूँ।
मैं आक के पेड़ नीचे जमीन में मूर्ति के रूप में दबा हुआ हूँ। यहाँ के राजा से कह दो कि यहाँ कुंड खुदवाकर मेरी मूर्ति को निकलवायें। समस्त जनता मुझे श्याम नाम से पूजेगी। जब राजा को यह बात बताई गई तो राजा ने उस स्थान पर खुदाई करवाई। उस खुदाई में बरबरीक का शीश निकला जिसकी आज श्याम नाम से पूजा की जाती है।
खुदाई की जगह पर कुंड बनवाया गया जिसे आज श्याम कुंड(Shyam Kund) के नाम से जाना जाता है। श्याम कुंड(Shyam Kund) से निकली मूर्ति को बाजार में स्थित एक शिवालय के पास मंदिर बनवाकर स्थापित करवाया गया।
इस श्याम मंदिर की परिक्रमा में उस समय जो शिवालय मौजूद था, वो आज भी मौजूद है। बाद में मुग़ल काल में औरंगजेब ने इस श्याम मंदिर को तोड़वा कर इसे एक मस्जिद में बदल दिया।
औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में पुराने श्याम मंदिर से कुछ दूरी पर वर्तमान श्याम मंदिर का निर्माण हुआ। इस नए मंदिर में श्याम बाबा को स्थापित किया गया। तब से बाबा श्याम यहीं विराजमान है।
श्री श्याम कुंड(Shyam Kund) कहाँ पर है?
खाटू कस्बे में स्थित श्री श्याम मंदिर के पास ही श्याम कुंड स्थित है। जब आप खाटू श्याम मंदिर जाते हैं, तो अवश्य श्याम कुंड में भी जाएं।
श्री खाटूश्याम कुंड(Shyam Kund) कैसे जाएँ?
श्री श्याम कुंड(Shyam Kund) सीकर जिले खाटू कस्बे में स्थित है। यह कुंड श्री श्याम मंदिर के पास ही है। जब भी आप खाटू श्याम मंदिर जाएँ, तो श्याम कुंड(Shyam Kund) में जरूर जाकर आएँ।
श्याम कुंड(Shyam Kund) का रहस्य क्या है?
खाटू श्याम मंदिर के पास स्थित कुंड पर विश्वास है कि इस प्राचीन श्याम कुंड से ही बर्बरीक का शीश निकला था। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से अपने लिए शीश मांगा था। इसके बाद महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने उस शीश को रूपवती नदी में बहा दिया और बाद में शीश बहते हुए श्यामकुंड में पहुंचा। खाटू के श्यामकुंड से ही खाटूश्याम का सिर निकला गया था।
यह कुंड गहरे और अंडाकार आकृति में बना हुआ है और इसमें पानी है जिसको बहुत पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही इस कुंड के परिसर में बाएं ओर एक प्रवेश द्वार है, जिसके अंदर प्राचीन श्याम कुंड स्थित है और इसे महिला कुंड का नाम दिया गया है। अब इसमें केवल महिलाएं ही स्नान कर सकती हैं। आजकल श्रद्धालुओं को इस कुंड के दर्शन करने का अवसर मिलता है और यहां पर स्नान भी किया जाता है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) के चमत्कार
श्री श्याम कुंड को अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध किया जाता है। कई लोगों ने इस स्थान पर चमत्कारिक गहराईयों को अनुभव किया है और अपनी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं। श्रद्धालुओं के अनुभवों में शामिल हैं रोगों का निवारण, विवाह, धन प्राप्ति, सुख-शांति की प्राप्ति, और आत्मिक उन्नति। इन चमत्कारिक घटनाओं ने इस स्थान को अद्वितीय और प्रभावशाली बना दिया है।
श्याम कुंड(Shyam Kund) पूजा प्रक्रिया
Frequently Asked Questions
Q1. श्याम कुंड की क्या मान्यता है?
A. श्याम कुंड की मान्यता यह है कि, इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को गोलोक धाम की प्राप्ति होती है और सभी इच्छाएं भी पूरी होती हैं।
Q2. श्याम कुंड कौन से महीने में जाना चाहिए?
A. श्याम कुंड जाने के लिए कोई निश्चित दिन नहीं होता है यह अपनी श्रद्धा का भाव है जब आपका मन करे, अपने समय अनुसार आप श्याम कुंड जा सकते हैं ।
Q3. खाटू श्याम की हकीकत क्या है?
A. बाबा खाटू श्याम का रिश्ता महाभारत काल से माना जाता है। वे भगवान कृष्ण के पौत्र थे, जो पांडुपुत्र भीम के पोते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, खाटू श्याम ने अपनी अद्भुत शक्तियों और क्षमताओं से भगवान श्रीकृष्ण को प्रभावित किया था, और उन्होंने कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया था। एक बार, जब पांडव वनवास के दौरान अपनी जान बचाने के लिए भटक रहे थे, तो भीम ने एक भयंकर राक्षस नामक हिडिम्ब से मुकाबला किया था।