Krishna Janmashtami 2024 : देखिये कृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है और विशेष मुहूर्त
By: admin
August 23, 2024
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Krishna Janmashtami 2024 Date: चातुर्मास के समय को भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा का विशेष समय माना जाता है। इस अवधि में सबसे प्रमुख पर्व होता है कृष्ण जन्माष्टमी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे Krishna Janmashtami कहते हैं। मथुरा, जो भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है, में इस पर्व की विशेष धूम रहती है। पूरे बृज क्षेत्र और देशभर में कृष्ण मंदिरों में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
Krishna Janmashtami 2024 Date – कृष्ण जन्माष्टमी कब है
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त 2024 रविवार की रात 03 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त 2024 सोमवार की रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
इस दिन हर मंदिरों में shri Krishna का भजन कीर्तन किया जाता है | प्रसाद वितरण किया जाता है | रासलीला दिखाई जाती है | और इनके उपदेशो के बारे में भी लोगो को बताया जाता है | महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहाँ पर इसका भव्य आयोजन होता है | इस दिन बहुत से प्रतियोगिताएं भी आयोजित कराइ जाती है |
गीता का प्रसिद्ध श्लोक :-
” यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥”
इसका अर्थ है की ” जब जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है तब तब मई स्वयं अवतार लेता हूँ | साधुओ की रक्षा करने, पापियों का विनाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए मई युग युग में अवतार लेता हूँ || ”
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि
जन्माष्टमी के दिन देशभर के सभी कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं। भगवान कृष्ण के श्रृंगार और झांकियों की सजावट की जाती है। बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है। शुभ मुहूर्त में बाल कृष्ण को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद बाल गोपाल को नए वस्त्र और गहने पहनाकर सजाया जाता है। पूजा में भगवान के भजन गाए जाते हैं और बाल गोपाल को माखन-मिश्री, तुलसी पत्ता और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। अंत में, उन्हें झूला झुलाया जाता है और भजन-कीर्तन के साथ उत्सव मनाया जाता है।
Krishna Janmashtami 2024 का मंत्र
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में उनके मूल मंत्र ‘कृं कृष्णाय नमः’ का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे 108 बार करने से सभी बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, सात अक्षरों वाला मंत्र ‘गोवल्लभाय स्वाहा’ भी विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति में सहायक होता है।
इस साल जन्माष्टमी के दिन एक विशेष योग बन रहा है जिसका नाम है जयंती योग। जयंती योग का अर्थ है द्वापर युग में श्री कृष्ण के जन्म के समय जिस योग का निर्माण हुआ था उसी योग का निर्माण एक बार फिर से जन्माष्टमी पर हो रहा है। इसी वजह से इस साल का पर्व हर बार से खास है।
शास्त्रों के अनुसार, श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के होने के समय हुआ था। इस साल 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि में दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से रात के 3 बजकर 38 मिनट तक है, इसी वजह से इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
इस बार जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। 26 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग का आरंभ दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से रोहिणी नक्षत्र के साथ होगा और इसका समापन 27 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर होगा।
अगर हम पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो जन्माष्टमी की पूजा के लिए कुल 45 मिनट का समय है। यानी कि 26 अगस्त को रात 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक लड्डू गोपाल की पूजा करना और उन्हें भोग अर्पित करना बहुत ही शुभ होगा।
Krishna Janmashtami 2024 का महत्व
सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूरे मनोयोग से पूजा करने पर भगवान सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी इस व्रत का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि अविवाहित लड़कियां यदि इस दिन व्रत रखकर भगवान कृष्ण को झूला झुलाती हैं, तो उनके विवाह के योग शीघ्र बनते हैं।
Krishna Janmashtami पर क्यों होता हैं दही हांडी का आयोजन
कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन होता है, खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में। यह आयोजन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद में किया जाता है। कथा के अनुसार, बाल श्रीकृष्ण को माखन और दही बहुत प्रिय था। इसलिए वह अपने मित्रों के साथ मटकी से माखन चोरी करके खाते थे। इस लीलाओं की स्मृति में, जन्माष्टमी के दिन ऊंचाई पर मटकी टांग दी जाती है, और लड़के मिलकर पिरामिड बनाकर उसे फोड़ते हैं। इस खेल को दही हांडी कहते हैं, और जो इसे फोड़ता है उसे गोविंदा कहा जाता है।